अखंड आर्यावर्त आर्य (त्रिदंडी)
महासभा

अखिल भारत हिंदू महासभा (ABHM) 1915 में स्थापित एक प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी संस्था है। इसका उद्देश्य हिंदू संस्कृति और मूल्यों की रक्षा और प्रचार करना है। महासभा हिंदुत्व की विचारधारा को बढ़ावा देती है और सांस्कृतिक, शैक्षिक, तथा राजनीतिक गतिविधियों के माध्यम से हिंदू समाज को एकजुट करने का प्रयास करती है।

“हिंदू संस्कृति की सुरक्षा और समृद्धि के लिए हमारा संकल्प अडिग है।”

हिंदू सांस्कृतिक पुनरुद्धार की दिशा में एक नई पहल

अखंड आर्यावर्त आर्य महासभा (त्रिदंडी)

अखंड आर्यावर्त आर्य महासभा एक प्रमुख हिंदू सांस्कृतिक संगठन है, जिसकी स्थापना भारतीय संस्कृति और आदर्शों के संरक्षण के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य आर्य संस्कृति का प्रचार और सामाजिक एकता को बढ़ावा देना है। महासभा विविध सांस्कृतिक और शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से भारतीय समाज को संगठित करने की दिशा में काम करती है।

“आर्य संस्कृति की रक्षा और सामाजिक समरसता के लिए हम संकल्पित हैं।”

जात पात की करो विदाई, हिंदू-हिंदू भाई भाई

हमारे राष्ट्रीय स्तर के सदस्य

ऋषि कुमार त्रिवेदी

राष्ट्रीय अध्यक्ष

नितिन उपाध्याय

राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष

आत्माराम तिवारी

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

दिवाकर विक्रम सिंह

राष्ट्रीय प्रवक्ता

अशोक कुमार श्रीवास्तव

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

जटाशंकर द्विवेदी

राष्ट्रीय मंत्री

जय हिंदू राष्ट्र

जात पात की करो विदाई,
हिंदू-हिंदू भाई भाई​

मुख्य उद्देश्य

मैं अकेला इस लड़ाई को जीत नहीं सकता, है अगर आप साथ हैं तो हार नहीं सकता

ऋषि कुमार त्रिवेदी

कार्यक्रम

भारत में होने जा रही आगामी भारत-बांग्लादेश क्रिकेट टेस्ट व टी20 सीरीज रद करने की मांग को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ

अखिल भारत हिंदू महासभा त्रिदंडी के द्वारा आयोजित राष्ट्रीय एवं प्रांतीय अधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। सर्वसम्मति से ऋषि कुमार त्रिवेदी को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।

स्वागत सम्मान एवं शपथ ग्रहण समारोह

अखंड आर्यावर्त आर्य त्रिदंडी महासभा। के द्वारा तेजोमहालय शिव मंदिर पर पवित्र श्रावण मास में जलाभिषेक करने वाले हिंदू महासभा कार्यकर्ता विनेश व श्याम का सम्मान करने का अवसर मथुरा पावन भूमि पर प्राप्त हुआ। ऐसे बब्बर शेरों का हिंदू महासभा स्वागत एवं अभिनंदन करती है।

कार्यकर्ता

राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष

नितिन उपाध्याय

राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष किसी संगठन या राजनीतिक दल का वह प्रमुख होता है जो संगठन के दैनिक कार्यों और नीतियों को संचालित करता है। उसका मुख्य कार्य संगठन की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाना और निर्णय लेने में नेतृत्व प्रदान करना होता है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

आत्माराम तिवारी

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एक संगठन या राजनीतिक दल के भीतर दूसरे सर्वोच्च पद पर होता है, जो अध्यक्ष के बाद जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है। वह संगठन की नीति निर्धारण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर तब जब अध्यक्ष अनुपस्थित हो।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

दिवाकर विक्रम सिंह

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एक संगठन या राजनीतिक दल के भीतर दूसरे सर्वोच्च पद पर होता है, जो अध्यक्ष के बाद जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है। वह संगठन की नीति निर्धारण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर तब जब अध्यक्ष अनुपस्थित हो।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

अशोक कुमार श्रीवास्तव

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एक संगठन या राजनीतिक दल के भीतर दूसरे सर्वोच्च पद पर होता है, जो अध्यक्ष के बाद जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है। वह संगठन की नीति निर्धारण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर तब जब अध्यक्ष अनुपस्थित हो।

अधिक जानें

कुछ सामान्य रूप से पूछे जाने वाले प्रश्न :-

हिंदुत्व एक सांस्कृतिक और राजनीतिक विचारधारा है, जो हिंदू धर्म की परंपराओं, मान्यताओं और जीवनशैली को संरक्षित और प्रचारित करने पर जोर देती है। यह भारतीयता और राष्ट्रवाद के साथ जुड़ा हुआ है और इसे 1920 के दशक में वीर सावरकर ने एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में परिभाषित किया था। हिंदुत्व का भारतीय समाज में महत्व इस बात से है कि यह देश के सांस्कृतिक धरोहर, सभ्यता और मूल्यों की रक्षा करने के साथ-साथ भारतीय राजनीति में एक प्रमुख धारा के रूप में उभरा है। कुछ लोग इसे भारतीयता की पहचान के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक और सांस्कृतिक असहिष्णुता के रूप में भी आलोचना करते हैं।

 
 

हिंदू धर्म एक प्राचीन धार्मिक और दार्शनिक परंपरा है, जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं, वेदों, उपनिषदों, और आध्यात्मिक मान्यताओं का समावेश है। यह धर्म व्यक्तिगत आस्था, कर्म, धर्म और मोक्ष पर आधारित है। दूसरी ओर, हिंदुत्व एक राजनीतिक और सांस्कृतिक विचारधारा है, जो हिंदू धर्म और उससे संबंधित सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय और सामाजिक संदर्भ में परिभाषित करती है। हिंदुत्व का उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना और इसे राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना है, जबकि हिंदू धर्म व्यक्तिगत आध्यात्मिकता और धार्मिक आस्थाओं पर केंद्रित है।

हिंदुत्व विचारधारा की उत्पत्ति 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुई, जब वीर सावरकर ने इसे 1923 में अपनी पुस्तक “हिंदुत्व: हिंदू कौन है?” के माध्यम से परिभाषित किया। यह विचारधारा भारतीय समाज में हिंदुओं की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को केंद्र में रखती है। सावरकर के अनुसार, हिंदुत्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सांस्कृतिक और नस्लीय पहचान का प्रतिनिधित्व करता है। इसका उद्देश्य हिंदुओं को संगठित करना और भारत को एक हिंदू राष्ट्र के रूप में देखना है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और सशक्त करता है।